Prachin bharat

Prachin bharat (ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति)

करोड़ो साल पहले (13.8 अरब साल पहले) ब्रह्माण्ड में एक आग का गोला रहता था। दिन प्रतिदिन गोले के अंदर एनर्जी भरती रहती थी । एक दिन अचानक से गोला फट गया और उसमे से अरबों ब्रह्माण्ड निकलते है ।

जिसमे से एक अपना आकाशगंगा भी निकलता है । उसी में से बहुत सारा ग्रह निकलते है उसमे से एक ग्रह है पृथ्वी जिसपे हम रहते है। हमारी पृथ्वी की 4.8 अरब साल पहले उत्पत्ति हुई। M

पृथ्वी पर 3.5 अरब साल पहले जीवन आई जो पेड़ पौधों की न हो।
मानव जीवन की उत्पत्ति
42 लाख साल पहले वो भी जानवर ke रूप में हुआ था। बाद में आदिमानव के रूप में फिर धीरे धीरे कुछ लाखो साल बाद मानव के रूप में परिवर्तित हो गया। 

प्राचीन भारत

प्राचीन भारत का समय विभाजित किया जा सकता है वैदिक युग, मौर्य युग, गुप्त युग, विजयनगर साम्राज्य, मुघल साम्राज्य, और अन्य समय के आधार पर वैदिक युग में, वेदों का समय है, जो भारतीय संस्कृति के मौलिक अध्ययन का आधार है।

मौर्य वंश का समय में, भारत को अग्रणी राज्य में शामिल किया गया। अशोक, मौर्य वंश का प्रसिद्ध शासक, धर्म और शांति के पक्ष पर ध्यान केंद्रित किया।

 गुप्त वंश : के दौरान, भारतीय सम्राट चंद्रगुप्त और सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में भारतीय साहित्य, कला, और सांस्कृतिक विकास का उत्थान हुआ।

विजयनगर साम्राज्य का समय भी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है, जो दक्षिण भारत में विकसित हुआ था।

मुघल साम्राज्य का समय, भारतीय इतिहास का सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली दौर था, जिसमें सम्राट अकबर, जहाँगीर, और शाहजहाँ जैसे महान शासक थे।

 प्राचीन भारत : 

प्राचीन भारत में धर्म एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, जैसे हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और सिख धर्म।

प्राचीन भारत का इतिहास
भारत को कई नामों से जाना जाता हैं, 1. भारत 2. इंडिया 3. हिंदुस्तान 4. आर्याव्रत
यूनानियों ने इंडिया का नाम दिए । और मुस्लिम शासकों ने हिंदुस्तान ।
भारत नाम महाभारत से लिया गया है जो दुष्यंत ke पुत्र थे। पहले भारत सोने की चिड़िया के नाम से भी जाना जाता था इतिहास के जनक हीरोडोटस थे। उनके द्वारा लिखा गया इतिहास का नाम हिस्टोरिका था जिसमे बहुत सारे देशों का इतिहास लिखा था। 

उसी में से कुछ भारत के बारे में भी कुछ पता चलता हैं।
इतिहास के प्रकार ,
1.प्राचीन भारत
2. मध्यकालीन भारत
3. आधुनिक भारत

1. प्राचीन भारत, की जानकारी के लिए निम्न साधन है,
* साहित्यिक साधन

(1) धार्मिक साहित्य
(2) ब्राह्मण ग्रंथ
(3) श्रुति
(4) एस्मृति
(5) अब्राहमण ग्रंथ
(6) लौकिक साहित्य
(7) ऐतिहासिक
(8) विदेशी विवरण
(9) जीवनी
(10) कल्पना प्रधान

* पुरातात्विक साधन

(1) अभिलेख
(2) मुद्राएं
(3) भगनवेसेस

* साहित्यिक साधन 

 (1) वेद , ऐसे ग्रंथ में वेद बहुत प्राचीन हैं, और वे सबसे पहले आते है। इससे विशिष्ट मात्रा में धार्मिक और आर्थिक संगठन की जानकारी प्राप्त होती हैं।
 (2) ब्राह्मण, वैदिक मंत्रों तथा साहित्यों के गढ़ को ब्राह्मण
कहा जाता है। 
 (3)उपनिषद
 (4) वेदांग
 (5) स्मृतियां
 (6) महाकाव्य 
 (7) पुराण
 (8) बौद्ध साहित्य 
 (9) जैन साहित्य

* विदेशियों का विवरण
यूनानी रोमन लेखक
चीनी लेखक
अरबी लेखक

* पुरातत्त्व
, पुरातत्व साक्ष्य के अंतर्गत मुख्यतः अभिलेख, सिक्के , स्मारक भवन,मूर्तियां चित्रकला आदि आते हैं।

चित्रकला, चित्रकला से हम उस समय के जीवन की जानकारी मिलती हैं। अजंता के चित्रों में मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति मिलती हैं।

* सिंधु घाटी सभ्यता,
सिंधु घाटी की सभ्यता बहुत पुराना है।
इस सभ्यता का उदय सिंधु नदी की घाटी में होने के कारण इसे सिंधु घाटी की सभ्यता तथा इसके प्रथम उत्खनित एवं विकसित केंद्र हड़प्पा के नाम पर होने के वजह से इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है। 

 * सभ्यता की खोज,
इसकी खोज ` रायबहादुर दयाराम साहनी ने की हैं ।
* सभ्यता का विस्तार,
अब तक इस सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान और भारत के पंजाब , सिंधु बलूचिस्तान, गुजरात , राजस्थान हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश , जम्मू कश्मीर के भागो में पाए जा चुके हैं। लगभग यह 12,99,6000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में था।
*मुख्य स्थल ,
हड़प्पा, हड़प्पा 6,0000_2,6000 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय व्यवस्था थी। मेहरगढ़ और लोथल की ही श्रृंखला में हड़प्पा में भी पुरातत्व उत्तखनन किया गया। 

 नगर निर्माण योजना, 

ईस सभ्यता की सबसे विशेष बात थी यहां की विकसित नगर निर्माण योजना ।
इस सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल के नगर निर्माण में समरूपता थी।
* आर्थिक जीवन
कृषि और पशुपालन, आज के मुकाबले सिंधु प्रदेश पूर्व में बहुत उपजाऊ था।
सिंधु की उर्वरता का एक कारण सिंधु नदी से प्रतिवर्ष आने वाला बाढ़ भी थी।
गांव की रक्षा के लिए खड़ी पकी ईट की दीवार इंगित करती हैं।
सिंधु घाटी के लोग गेहूं,राई, मटर,ज्वार आदि अनाज पैदा करते थे। 

व्यापार 

 , यहां के लोग आपस में पत्थर, धातु,आदि का व्यापार करते थे।
उद्योग ,धंधे: यहां के नगरों में अनेक काम धंधे प्रचलित थे ।
मिट्टी की बर्तन बनाने में ये लोग बहुत कुशल थे। मिट्टी की बर्तनों पर काले रंग से विभिन्न आकृति बनाते थे।
*कला का विकास: मूर्ति कला
चित्रकला
मुद्रा कला
धातु कला
पात्र निर्माण कला
वस्त्र निर्माण कला
नृत्य तथा संगीत कला
लिपि या लेखन कला
* धार्मिक जीवन निम्न है,

शिव की पूजा
मूर्ति पूजा
जल पूजा
सूर्य पूजा
नाग पूजा
वृक्ष पूजा 

 * मध्यकालीन भारत इतिहास:

भारत पर आक्रमण अरबों द्वारा
7वी सदी में ही संपर्क आरंभ हो गई थी।

 लेकिन राजनिक संबंध 712 ई0 सिंध पर आक्रमण के
दौरान स्थापित हुआ।

* तुर्को का आगमन,

तुर्को के आगमन के पूर्व अरबों ने भारत पर आक्रमण किए किन्तु भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना का श्रेय तुर्को को जाता हैं।

 महमूद गजनवी
महमूद गजनवी का जन्म 2अक्टूबर 971 को गजनी अफगानिस्तान में हुआ था।
पिता का नाम सुलतान सुबुक तिगीन था।
भारत की धन संपत्ति से
आकर्षित होकर गजनवी ने भारत पर कई बार आक्रमण किए। 
गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए।
*आधुनिक भारत
यूरोपीय का भारत आगमन, भारत में यूरोपीय कंपनियों आगमन कारण भारत में व्यापार करना था , लेकिन भारत की भव्यता देखकर उनका उद्देश्य बदल गया और वो भारत में घुसपैठ करने लगे और अपना साम्राज्य बढ़ाने लगे ।
पुर्तगाल के एक नाविक जिनका नाम वास्कोडिगामा था , जिन्होने भारत और यूरोप के बीच समुंद्री रास्ता का खोज किया।

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